कौमी एकता - मत बॉंधो नफरत की गठरी | i love india

कौमी एकता - मत बॉंधो नफरत की गठरी
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रचित: कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी (नागपुरी)


मत बॉंधो-6
मत बॉधो नफरत की गठरी-
ये भारी पड़ जायेगी
भवसार तरने के वक्त ये-
नैया को ही डुबा देगी ।।


1. बॉंटने हैं तो दिल से बॉंटो-
श्रद्धा सुमन नर-नारी को ।। 2 ।।
हर करम में प्यार छुपा हो-
ऐसे सजाओ क्यारी को ।। 2 ।।
मत बॉंधो-3
मत बॉंधो नफरत------------------ ।।

2. गैर किसी को तुम मत समझो-
बैर किसी से पालो ना ।। 2 ।।
कॉंटों में भी फूल खिले हैं-
फूलों को तुम कुचलो ना ।। 2 ।।
मत बॉंधो-6, मत बॉंधो ------------ ।।

3. कौंन बहावे पवन झरोखा-
कौंन बहावे नदिया को ।। 2 ।।
किसके सहारे टिकी है धरती-
कौन सजावे बगिया को ।। मत बॉंधो-

4. वही है अल्ला, वही है ईश्वर-
वही तो वाहे-गुरू है ।। 2 ।।
हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई
सभी तो उसके प्यारे हैं ।
मत बॉंधो-6, मत बॉंधो ------------ ।।




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जय माता दी
आपका दिन शुभ हो.

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