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Showing posts from January, 2019

बन प्रभू चरनन अनुरागी, latest bhakti geet, hindi bhakti song, jai mata di

बन प्रभू चरनन अनुरागी रचित : कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ( नागपुरी ) मन रे ै ै ै  बन प्रभु चरनन अनुरागी - 2 काहे वृथा भटके है जग में - 2 ये झूटी दुनियॉं सारी मन रे........................ ।। 1. भटक-भटक कर मनवा तूने तन का किया बेहाल मृगतृष्णा को लिये हुए तू -2 क्यों झूटा बुनता जाल     मन रे........................ ।। 2. दुनियॉं के रस-राग में तूने -2 रसना बहुत चलाई कर चालाकी प्रभु से तूने उमरिया वृथा गंवाई -2     मन रे........................ ।। 3. अभी भी चेतले ऐ मन मूरख -2 कर सपना साकार आत्मजोत को करके उजागर कर जीवन साकार तू ;नैया लगा ले पारद्ध     मन रे........................ ।। प्रिय पाठक, मुझे उम्मीद हे , आपको मेरी यह रचना पसंद आई होगी . आपसे निवेदन हे कि आप अपने विचार जरूर comment box में साँझा करें . मेरी और स्वरचित रचनाओं के लिए हमसे जुड़ें- YouTube  द्वारा :  https://www.youtube.com/channel/UCKEVajSZqc02B2IIPzYlrgg Website:  https://buranshgeetmala.blogspot.com Facebook द्वारा : https://ww

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आज आया हॅंू दर पे हरि आपक रचित : कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ( नागपुरी ) आज आया हॅंू दर पे हरी आपके देना चरणों की भक्ती मुझे चूम के आज आया हॅंू दर पे हरि आपके -2 जहॉं भी रहूॅं मस्त होके रहॅंू - 2 जोत घट में जलाके तुझे चूम लॅंू आज आया हॅंू दर पे हरि आपके -2 सुमिरन में तेरे मगन झूम लॅंू - 2 जहॉं भी रहॅंू दास तेरा रहॅंू -2 आज आया हॅंू दर पे हरि आपके -2 प्रिय पाठक, मुझे उम्मीद हे , आपको मेरी यह रचना पसंद आई होगी . आपसे निवेदन हे कि आप अपने विचार जरूर comment box में साँझा करें . मेरी और स्वरचित रचनाओं के लिए हमसे जुड़ें- YouTube  द्वारा :  https://www.youtube.com/channel/UCKEVajSZqc02B2IIPzYlrgg Website:  https://buranshgeetmala.blogspot.com Facebook द्वारा : https://www.facebook.com/BuranshGeetmala ईमेल द्वारा [Email address]: buranshgeetmala@gmail.com ट्विटर द्वारा [Twitter address]: https://twitter.com/BuranshGeetmala Free Book - Click Here - उमंग ( पहाड़ी लोक गीत ) जय माता दी आपका दिन शुभ हो .

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धन्य-धन्य हे करूणाकर रचित : कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ( नागपुरी ) हम जा रहे गंगासागर जी - 2 ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2 इस तीरथ पर जो कोई आवे - 2 जनम सफल कर जाये जी हम जा रहे गंगासागर जी - 2 ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2 कलकत्ता से महांकाली ने अम्बे आदि भवानी ने दर पे अपने बुलाया जी हम जा रहे गंगासागर जी - 2 ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2 गंगोत्री से आई गंगा भागीरथ का तप है भैया यहॉं कपिलमुनी आश्रम जी हम जा रहे गंगासागर जी - 2 ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2 भक्त चलेंगे सागर नहाकर - 2 जगन्नाथपुरी करूणाकर पुरी का धाम निराला जी हम जा रहे गंगासागर जी - 2 ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2 सब गा रहे भक्त मगन होकर जै धन्य-धन्य हे करूणाकर है छबी बड़ी अदभुत सुन्दर हम धन्य हुए दर्शन पाकर हम जा रहे गंगासागर जी - 2 ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2 प्रिय पाठक, मुझे उम्मीद हे , आपको मेरी यह रचना पसंद आई होगी . आपसे निवेदन हे कि आप अपने विचार जरूर comment box में साँझा करें . मेरी और स्वरचित रचनाओं के लिए हमसे जुड़ें- YouTube  द्वारा :  https://www.yout

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लंका में मचा दी खलबली रचित : कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ( नागपुरी ) महावीर-वली बजरंगबली  ।। 2 ।। लंका में मचा दी खलबली ।। 2 ।। जै-जै-जै-जै बजरंगबली  ।। 2 ।। 1. राह रोककर भीम को तुमने हरि-सुमिरन करवाया था काम-क्रेाध-मद-लोभ शत्रु हैं ज्ञान का पाठ पढाया था जै-जै-जै-जै बजरंगबली महावीर-वली बजरंगबली--------- । 2. एक राक्षसी ऐसी थी जो परछााई को पकड़ती थी मारा जाकर तुमने उसको गगनचरों को खाती थी जै-जै-जै-जै बजरंगबली महावीर-वली बजरंगबली--------- । 3. सुरसा नाम अहिन की माता राह रोकने आई थी हार के बोली सफल रहो तुम सच्चा भक्त बताई थी जै-जै-जै-जै बजरंगबली महावीर-वली बजरंगबली--------- । 4. मेघनाद को भी तो तुमने पौरूष खूब दिखाया था त्राहि-त्राहि लंका में मचाई हाहाकार कराया था जै-जै-जै-जै बजरंगबली महावीर-वली बजरंगबली--------- । प्रिय पाठक, मुझे उम्मीद हे , आपको मेरी यह रचना पसंद आई होगी . आपसे निवेदन हे कि आप अपने विचार जरूर comment box में साँझा करें . मेरी और स्वरचित रचनाओं के लिए हमसे जुड़ें- YouTube  द्वारा :  http