Latest Hindi song | जै हिन्दी भवानी भारती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी भवानी भारती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी-भवानी-भारती
तेरी उतारें आरती ।।
जय-जय उतारें आरती-
;सारे उतारें आरतीद्ध
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
1. हिन्द की पावन धरा पर-
हुई है न्यौछावर ।। 2।।
धन्य-धन्य हे मातृ-भाषा-
बुलन्द तेरे स्वर-
जय-जय-उतारें आरती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
2. वाणीं तेरी बड़ी मृदुल है-
ये सबके मन को भाती ।। 2 ।।
देव-नागरी,देव-लिपि यह-
राजभाषा कहलाती ।।
जय-जय-उतारें आरती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
3. बारह स्वर, छत्तीस व्यन्जन से-
बनी हुई है यह शैली ।। 2।।
पूर्व-पष्चिम-उत्तर-दक्षिण-
चारों दिषाओं में फैली ।।
जय-जय-उतारें आरती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
4. रस-छन्दों से सजी ये भाषा-
अलंकार इसके गहने ।। 2 ।।
बिन्दी सोहे माथे पर ज्यों-
सुन्दरता का क्या कहने ।।
जय-जय-उतारें आरती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
रचित: कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी (नागपुरी)
जै हिन्दी-भवानी-भारती
तेरी उतारें आरती ।।
जय-जय उतारें आरती-
;सारे उतारें आरतीद्ध
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
1. हिन्द की पावन धरा पर-
हुई है न्यौछावर ।। 2।।
धन्य-धन्य हे मातृ-भाषा-
बुलन्द तेरे स्वर-
जय-जय-उतारें आरती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
2. वाणीं तेरी बड़ी मृदुल है-
ये सबके मन को भाती ।। 2 ।।
देव-नागरी,देव-लिपि यह-
राजभाषा कहलाती ।।
जय-जय-उतारें आरती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
3. बारह स्वर, छत्तीस व्यन्जन से-
बनी हुई है यह शैली ।। 2।।
पूर्व-पष्चिम-उत्तर-दक्षिण-
चारों दिषाओं में फैली ।।
जय-जय-उतारें आरती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
4. रस-छन्दों से सजी ये भाषा-
अलंकार इसके गहने ।। 2 ।।
बिन्दी सोहे माथे पर ज्यों-
सुन्दरता का क्या कहने ।।
जय-जय-उतारें आरती तेरी उतारें आरती
जै हिन्दी भवानी भारती ।।
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जय माता दी
आपका दिन शुभ हो.
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