जय मॉं स्तुति रचित : कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ( नागपुरी ) कोटि-कोटि नमन,कोटि-कोटि नमन जय मॉं तुम्हें नमन, जय मॉं तुम्हें नमन जय मॉं तुम्हें नमन, जय मॉं तुम्हें नमन 1. कितना सुन्दर रूप सजा तेरा- कितना भव्य भवन ।। 2 ।। जगमग-जगमग जोत जली तेरी ।। 2 ।। उज्जवल तेरे चरण, उज्जवल तेरे चरन जय मॉं तुम्हें नमन, जय मॉं तुम्हें नमन कोटि-कोटि नमन,कोटि-कोटि नमन जय मॉं तुम्हें नमन, जय मॉं तुम्हें नमन ।। 2 ।। 2. चम-चम-चम-चम मुकुट है चमके- गल मोतियन की माला ।। 2 ।। लाल-चुनर तेरी अदभुत साजे ।। 2 ।। कंचन तेरा बदन, कंचल तेरा बदन जय मॉं तुम्हें नमन, जय मॉं तुम्हें नमन कोटि-कोटि नमन,कोटि-कोटि नमन जय मॉं तुम्हें नमन, जय मॉं तुम्हें नमन ।। 2 ।। 3. शेर सवारी करती है मॉं- भैरों पहरेदार ।। 2 ।। पवन वेग चले तेरा हनुमन ।। 2 ।। जै-जै गूॅंजे गगन, जै-जै गॅंूजे गगन । जय मॉं तुम्हें नमन, जय मॉं तुम्हें नमन कोटि-कोटि नमन,कोटि-कोटि नमन जय मॉं तुम्हें नमन, जय मॉं तुम्हें नमन ।। 2 ।। 4. कबसे खड़ा हॅंू दर पे तेरे- खोलो अब तो नयन ।। 2 ।। भिखारी बनके आया हॅंू दर पे
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