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धन्य-धन्य हे करूणाकर
रचित: कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी (नागपुरी)


हम जा रहे गंगासागर जी - 2
ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2



इस तीरथ पर जो कोई आवे - 2
जनम सफल कर जाये जी
हम जा रहे गंगासागर जी - 2
ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2

कलकत्ता से महांकाली ने
अम्बे आदि भवानी ने
दर पे अपने बुलाया जी
हम जा रहे गंगासागर जी - 2
ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2

गंगोत्री से आई गंगा
भागीरथ का तप है भैया
यहॉं कपिलमुनी आश्रम जी
हम जा रहे गंगासागर जी - 2
ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2

भक्त चलेंगे सागर नहाकर - 2
जगन्नाथपुरी करूणाकर
पुरी का धाम निराला जी
हम जा रहे गंगासागर जी - 2
ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2

सब गा रहे भक्त मगन होकर
जै धन्य-धन्य हे करूणाकर
है छबी बड़ी अदभुत सुन्दर
हम धन्य हुए दर्शन पाकर
हम जा रहे गंगासागर जी - 2
ये तीरथ है बड़ा पावन जी - 2


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जय माता दी
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