बन प्रभू चरनन अनुरागी, latest bhakti geet, hindi bhakti song, jai mata di
बन प्रभू चरनन अनुरागी
मन रे ै ै ै बन प्रभु चरनन अनुरागी - 2
काहे वृथा भटके है जग में - 2
ये झूटी दुनियॉं सारी
मन रे........................ ।।
1. भटक-भटक कर मनवा तूने
तन का किया बेहाल
मृगतृष्णा को लिये हुए तू -2
क्यों झूटा बुनता जाल
मन रे........................ ।।
2. दुनियॉं के रस-राग में तूने -2
रसना बहुत चलाई
कर चालाकी प्रभु से तूने
उमरिया वृथा गंवाई -2
मन रे........................ ।।
3. अभी भी चेतले ऐ मन मूरख -2
कर सपना साकार
आत्मजोत को करके उजागर
कर जीवन साकार
तू ;नैया लगा ले पारद्ध
मन रे........................ ।।
रचित: कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी (नागपुरी)
मन रे ै ै ै बन प्रभु चरनन अनुरागी - 2
काहे वृथा भटके है जग में - 2
ये झूटी दुनियॉं सारी
मन रे........................ ।।
1. भटक-भटक कर मनवा तूने
तन का किया बेहाल
मृगतृष्णा को लिये हुए तू -2
क्यों झूटा बुनता जाल
मन रे........................ ।।
2. दुनियॉं के रस-राग में तूने -2
रसना बहुत चलाई
कर चालाकी प्रभु से तूने
उमरिया वृथा गंवाई -2
मन रे........................ ।।
3. अभी भी चेतले ऐ मन मूरख -2
कर सपना साकार
आत्मजोत को करके उजागर
कर जीवन साकार
तू ;नैया लगा ले पारद्ध
मन रे........................ ।।
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जय माता दी
आपका दिन शुभ हो.
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