जग हिन्दीमय कर दो
जग हिन्दीमय कर दो
जग-जगमग जग कर दो
जग हिन्दीमय कर दो
मॉं सरस्वती शारदे -
ऐसा वर दे दो
जग हिन्दीमय कर दो ।।
ब्रहम अक्षर इक ऊॅं ने रचदी
ऐसी गजब कहानी
12 स्वर 36 व्यंजन से
लिखदी हिन्दी वाणी
मधुर कंठ करदो
जग-जगमग जग कर दो
जग हिन्दीमय कर दो
मॉं सरस्वती शारदे -
ऐसा वर दे दो
जग हिन्दीमय कर दो ।।
राजभाषा
हिन्दी है अपनी
प्यारी
रास्ट्र् भाषा
सभी भाषाओं
की यह जननी
मधुर-मधुर
यह भाषा
सबको
स्वर दे दो
ऐसा वर
दे दो
जग-जगमग
जग कर दो
जग हिन्दीमय
कर दो
मॉं सरस्वती
शारदे -
ऐसा वर
दे दो
जग हिन्दीमय
कर दो ।।
रस भी
इसमें छंद भी इसमें
अलंकारों
से सजी हुई
हिन्दी
की बिन्दी पहने है
प्यारी
अपनी माता
जय-जय-जय
करदो
जग हिन्दीमय
कर दो
मॉं सरस्वती
शारदे -
ऐसा वर
दे दो
जग हिन्दीमय
कर दो ।।
प्रिय पाठक, मुझे उम्मीद हे, आपको मेरी यह रचना पसंद आई होगी. आपसे निवेदन हे कि आप अपने विचार जरूर comment box में साँझा करें. मेरी और स्वरचित रचनाओं के लिए हमसे जुड़ें-
Website: https://buranshgeetmala.blogspot.com
|
जय माता दी
आपका दिन शुभ हो.
Comments
Post a Comment