बन प्रभू चरनन अनुरागी, latest bhakti geet, hindi bhakti song, jai mata di
बन प्रभू चरनन अनुरागी रचित : कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ( नागपुरी ) मन रे ै ै ै बन प्रभु चरनन अनुरागी - 2 काहे वृथा भटके है जग में - 2 ये झूटी दुनियॉं सारी मन रे........................ ।। 1. भटक-भटक कर मनवा तूने तन का किया बेहाल मृगतृष्णा को लिये हुए तू -2 क्यों झूटा बुनता जाल मन रे........................ ।। 2. दुनियॉं के रस-राग में तूने -2 रसना बहुत चलाई कर चालाकी प्रभु से तूने उमरिया वृथा गंवाई -2 मन रे........................ ।। 3. अभी भी चेतले ऐ मन मूरख -2 कर सपना साकार आत्मजोत को करके उजागर कर जीवन साकार तू ;नैया लगा ले पारद्ध मन रे........................ ।। प्रिय पाठक, मुझे उम्मीद हे , आपको मेरी यह रचना पसंद आई होगी . आपसे निवेदन हे कि आप अपने विचार जरूर comment box में साँझा करें . मेरी और स्वरचित रचनाओं के लिए हमसे जुड़ें- YouTube द्वारा : https://www.youtube.com/channel/UCKEVajSZqc02B2IIPzYlrgg Website: https://buranshgeetmal...